सिया जी को ढूंढत राम फिरे

सिया जी को ढूंढत राम फिरे,
बन बन राम फिरे....

आगे आगे रामा पीछे पीछे लक्ष्मण,
तपसी भेष धरें सिया जी को ढूंढत राम फिरे....

नंगे पांव फिरत है बन में,
व्याकुल होते फिरें सिया जी को ढूंढत राम फिरें.....

हरे हरे वृक्ष और बन के वासी,
पूछा तो राम फिरे सिया जी को ढूंढत राम फिरें.....

तुमने देखी है सिया जानकी,
को ले गयो हरके सिया जी को ढूंढत राम फिरे....

आगे बैठे गीध जटायु,
वो बैठे-बैठे भजन करें सिया जी को ढूंढत राम फिरे....

सारी कथा श्री राम को सुनाई,
ले गया असुर हर के सिया जी को ढूंढत राम फिरे....

वृद्धा अवस्था मेरी रघुवर,
नए-नए पंख झड़े सिया जी को ढूंढत राम फिरे....

तुलसीदास आश रघुवर की,
जल बैकुंठ भरे सिया जी को ढूंढत राम फिरे .....
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