दुर्गा शेर सजाके री आजा दंगल में

रे मईया शेर सजाके री, एक बार आजा दंगल में,
दुर्गा शेर सजा के री, मैय्या आजा दंगल में....

कालका अखण्डी चण्डी,  मुण्ड माला धारिणी,
असुरों के झुण्ड रुण्ड मुण्ड कर डारिणी,
मार दिये दाना दंगल में, आज्या दंगल में....

भगतो की सहाई, दुष्टों को संघारणी,
खड़क खप्पर ले के शीश, बैरी का उतारनी,
फंसा दुश्मन को चंगुल में, आज्या दंगल में....

ब्राह्मणी रुद्राणी तू ही, तू ही माता भारती,
धूप दीप ले के पहले, करू तेरी आरती,
रिद्ध सिद्ध दीजो मंगल में, आज्या दंगल में....

"हरिनारायण शर्मा" कहे तेरे को मनाऊ में,
भूल को सुधार कीजे, छंद को बनाऊ में,
ध्यान नही दीन्या पिंगल में, आज्या दंगल में....
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