जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक

जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक,
माँगे ये वरदान हे माँ ॥
द्वेष मिटाये प्रेम बढाये नेक बने इन्सान माँ
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक,
माँगे ये वरदान हे माँ ॥
द्वेष मिटाये प्रेम बढाये नेक बने इन्सान माँ,
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक,
माँगे ये वरदान हे माँ......

भेदभाव मिटे हमारा सब को दिल में प्यार करे,
जाये नजर जिस ओर हमारी तेरा ही दीदार करे,
पल पल क्षण क्षण तेरा ही गुणगान करे,
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक....

दुख मे कभी दुखी ना होवे,
सुख मे सुख की चाह ना हो,
जीवन के कठिन सफर मे कांटो की परवाह ना हो,
रोक सके ना पाव हमारे विघनों के तूफान है माँ,
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक....

दीन दुखी ओर रोगी सबके दुखङे निसदिन दुर करे,
पोंछ के आंसू रोते नैना हसंने पर मजबूर करे,
तेरे चरणो की सेवा करते निकले तन से प्राण हे माँ,
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक....

तेरे ज्ञान से इस दुनिया का दूर अँधेरा करदे हम,
सत्य प्रेम के मीठे रस से सबका जीवन भरदे हम,
धीर अधीर बणजी ना सीखे ये तेरी संतान हे माँ,  
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक,
माँगे ये वरदान हे माँ,
द्वेष मिटाये प्रेम बढाये बनेे नेक इन्सान हे माँ,
जोड़ के हाथ झुका कर मस्तक....
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