इक रोज़ मुझे माँ मिली

इक रोज़ मुझसे माँ मिली,
सपनो के गाव में,
बैठा रहा वही पे मैं,
चरणों की छाँव में,
हे अम्बे मुझको सीख दे,
भक्ति मैं तेरी करू,
जीवन कटे मेरा मईया,
तेरे आँचल की हवाओ में,
इक रोज़ मुझसे माँ मिली,
सपनो के गाव में,
बैठा रहा वही पे मैं,
चरणों की छाँव में,          
इक रोज़ मुझसे माँ मिली।

माँ बोली कैसा चल रहा है,
जीवन में मुझे बता,
मैंने कहा ओ माँ मेरी,
सुन तुझसे है क्या छुपा,
भक्तो सुनो क्या दृश्य था,
मंदिर के छाँव में,
मैं तो हुआ भिवोर आके,
भक्ति के गाँव में,
इक रोज़ मुझसे माँ मिली,
सपनो के गाव में.......

ऐसी है मेरी माँ सुनो,
सारे जग की माता है,
ये संयोग है या किसमत है,
माँ से हमारा नाता है,
करुणा है भक्तो के लिए,
माँ की निग़ाओं में,
अर्जी है ‘अरविंद’ की मईया,
रखना दुआओं में,
इक रोज़ मुझसे माँ मिली,
सपनो के गाव में.......
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