मंदिरों से माँ ने टेलीफोन किया है

हेलो कौन मेरी माँ..
जय हो....

मंदिरों से माँ ने टेलीफोन किया है,
सुन ले अपने पराये मेरे द्वार वो ही आये,
जिसने जीवन ही मुझको सौंप दिया है,
मंदिरों से माँ ने टेलीफोन किया है॥

मांगने मुरादे तो आते सभी है,
आप रो के मुझको रुलाते सभी है,
भला अपना चाहते है भला नही करते,
सबको डराते है मुझसे नहीं डरते,
पूजा मेरी करने तो सुबह शाम आते,
लेकिन मेरे बन्दों के नही काम आते,
सुखी होना चाहते है दुःख देके सबको,
सन्मुख रखते है अपने मतलब को,
मेरी अखियों का तारा, मेरी अखियों का तारा,
मुझे जान से भी प्यारा, मुझे जान से भी प्यारा,
ओ मेरी अखियों का तारा,
मुझे जान से भी प्यारा,
जिसने हाथ किसी पे बस का थाम लिया है,
मंदिरों से माँ ने टेलीफोन किया है......

मैं तो खुद दाती हूँ मुझको क्या दोगे,
देने के बहाने तुम तो और मांग लोगे,
चढ़ावे तुम्हारे ये मैं क्या करुँगी,
मैं तो सच्ची श्रद्धा के दो फूल लूंगी,
फैक्ट्री नही चाहिये मुझे मिल नही चाहिये,
मुझको दिखावे का दिल नही चाहिये,
अंदर बाहर क्या है सब जानती हूँ,
रग रग ही सबकी मैं पहचानती हूँ,
मेरे पास जो भी आये मेरे पास जो भी आये,
ओ मुझे सच सच बताये मुझे सच सच बताये,
ओ मेरे पास जो भी आये,
मुझे सच सच बताये,
कितने मजबूरो का उसने खून पिया है,
मंदिरों से माँ ने टेलीफोन किया है,
टेलीफोन किया है मंदिरों से माता शेरावाली ने,
टेलीफोन किया है.....
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