आया बुलावा भवन से मैं रह ना पाई

तेरे दर्श की धुन में माता,
हम है हुए मतवाले,
रोक सकी ना आँधिया हमको,
ना ही ये बादल काले,
चढ़ चढ़ कठिन चढ़ाइयां,
बेशक पाँव में पड़ गए छाले,
फिर भी तेरे दर आ पहुंचे,
हम है किस्मत वाले।

आया बुलावा भवन से, मैं रह ना पाई,
अपने पति संग चढ़ के चढ़ाई, नंगे पाँव आई,
लाल चुनरी चढाऊं, जय हो माँ,
तेरी ज्योत जगाऊं, जय हो माँ,
बस इतना वर चाहूँ,
मैं बस इतना वर पाऊँ,
दर्शन को हर साल,
सदा सुहागन ही आऊँ माँ,
जय हो भवानी,
जय जय महा रानी।।

हे अखंड ज्योत वाली माता,
मेरा भी अखंड सुहाग रहे,
सदा खनके चूड़ियाँ मेरे हाथों में,
सिंदूर भरी ये मेरी माँग रहे,
महके परिवार, जय हो माँ,
रहे खिली बहार, जय हो माँ,
फूलों की तरह मुस्काऊँ,
फूलों की तरह मुस्काऊँ,
दर्शन को हर साल,
सदा सुहागन ही आऊँ,
जय हो भवानी,
जय जय महा रानी।।

मुझको वर दो मेरा स्वामी,
तेरी भक्ति में मगन रहे,
जब तक यह जीवन रहे सरल,
‘लक्खा’ को तेरी लगन रहे,
तेरा सच्चा दरबार, जय हो माँ,
तेरी महिमा अपार, जय हो माँ,
चरणों में शीश नवाऊं,
चरणों में शीश नवाऊं,
दर्शन को हर साल,
सदा सुहागन ही आऊँ,
जय हो भवानी,
जय जय महा रानी...........
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