माँ की लाल रे चुनरिया

माँ की लाल रे चुनरिया  देखो  लहर लहर लहराए
माँ की नाक की नथनिया  दमदम  दम दम दमकी जाए
माँ की लाल रे चुनरिया..............

मंदिर लाल ध्वजाएं न्यारी  देखो फर फर फर फेहराये
लाखो नर नारी दर जाए  माँ की जय जय कार लगाएं
ऊँचे पर्वत पे महारानी बैठी है आसान को सजाये
माँ की लाल रे चुनरिया ..................

माँ सोलह सिंगार सजाये  मोहिनी मूरत मन को भाये
होती आरती शाम सवेरे  जगमग माँ की ज्योत जलाएं
हनुमत भैरो चंवर दुराये माँ की शोभा वर्णी ना जाए

तूने भक्त अनेको उतारे  माँ लाखों दानव संहारे
जो भी शरण में तेरे आये मैया भव से पार उतारे
तेरी लीला सभी भाखाने सारा जग तेरे गुण गाये
माँ की लाल रे चुनरिया ................

माँ तुमने संसार रचाया  कण कण माँ तुमने उपजाया
हर प्राणी में तेरा साया  सारा जग माँ तेरी माया
मेरा तन मन मैया तेरा बस तेरे ही माँ गुण गाये
माँ की लाल रे चुनरिया ..................

तेरे दर का प्यार वो पाएं मैया तू जिसको बुलवाये
जिसको दाती माँ अपनाये उसको कभी न कष्ट सताये
मैया एक सिवा दर तेरे दूजा कोई दर ना भाये
माँ की लाल रे चुनरिया ................

महिमा तेरी वेद बखाने  व्रह्मा विष्णु शंकर माने
नारद लेके वीणा तेरी  तीनो लोकों तुझे बखाने
राधा सीता तू सावित्री तेरी गाथा कहीं ना जाए
माँ की लाल रे चुनरिया ..................

शुम्ब निशुम्भ को तुमने मारा मैया जग का कष्ट निवारा
ध्यानु और ालाह ने ध्याया तारा को माँ भव से तारा
वो जगराता हो ना पूरा जिसमे तारा को ना ध्याये
माँ की लाल रे चुनरिया ...............
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