साँची साँची बोल संवारा माहरे घरा कद आवे गो

साँची साँची बोल संवारा माहरे घरा कद आवे गो,
पलके बिछाया बैठा मैं तो कद सु दर्श दिखावे गो,
साँची साँची बोल संवारा माहरे गहरा कद आवे गो


मिलवा की माहरे मन में आवे,
लीले चढ़ कर आ जावो,
टाबरियां मनुहार करे है प्यारी सुरतियाँ दिखलाओ,
मैं तो उडीका बात तिहारी,
कितनो तू तरसावे गो
साँची साँची बोल संवारा माहरे गहरा कद आवे गो

खाटू तो मैं आता जाता दर्शन तेरा पावा जी,
महारी कुटियाँ में सांवरियां तेरा चरण मैं चावा जी,
आवे गो तू फेर तो माहने चरणों सु लिपटावे गो ,
साँची साँची बोल संवारा माहरे गहरा कद आवे गो

अखियां माहि आंसुड़ा भी थारो रस्तो देख रहा,
थे आवो तो ख़ुशी में आंसू ढल जावे मैं सोच रहा,
इब तो बाबा मान ले केहनो इतना नखरो दिखावे गो
साँची साँची बोल संवारा माहरे गहरा कद आवे गो

थारो माहरो गठजोड़ है गौतम थारो चाकर है जी,
चोखानी कवे म्हारे सिर पे हाथ फेरो आकर जी,
आनो जानो करले बाबा के तेरो घट जावेगो,
साँची साँची बोल संवारा माहरे गहरा कद आवे गो
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