भटक रहे है दर दर हम

भटक रहे है दर दर हम ढूंढ रहे है तुम्हे कदम,
कहा छुपे हो बाबा मुश्किल में हम,
आ भी जाओ वरना रो देंगे हम,

सुना है हमने लाखो पापी तुमने तार दिये,
हारे हुए की साथ की खातिर तुम अवतार लिए
दुनिया करती बहुत सितम जीवन में है गम ही गम,
अपनों को भी भूल चुके अब तो हम,
आ भी जाओ वरना रो देंगे हम,

मेरे मोहन मेरे सांवरियां तू ही आस मेरी,
बन जाएगा बिगड़ा जीवन किरपा हो जो तेरी,
ठोकर ऐसी खाई है संग ना कोई साही है,
तेरे रेहम से पीड़ा जो हो गई कम,
आ भी जाओ वरना रो देंगे हम,

कैसे डूबे नाव हमारी,
तुम जो हो पतवार,
तेरी नजर में रहेंगे अब तो मेरे पालनहार,
खाटू में बस जाना है तुम को अपना माना है,
रक्शा करना तेरे बालक है हम,
आ भी जाओ वरना रो देंगे हम,
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