मन में इक हलचल है

मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,
कितना भी रोकू मैं बाबा आँख मेरी भर आती है,
मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,

भुला नहीं मैं अब तक बाबा गम की वो राते काली,
तेरे बिना कैसे थी बिताई क्या होली क्या दिवाली,
बीते पलो को सोच की मेरी रूह बहुत थर्राती है,
मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,

मेरी तरफ रुख तूफ़ान का था खुद को तुम पर छोड़ दिया,
मोरछड़ी क्या घूमी तेरी हर दुःख ने दम तोड़ दिया,
गम की आंधियां भी अब बाबा ठंडी हवा बन जाती है,
मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,

ज़िंदा हु बस तेरी बदौलत वरना कब का मर जाता,
हाथ जो तेरा सही समय पर मेरे सिर पे ना आता,
मौत भी सोच में डूबी अब तो दूर खड़ी गबराती है,
मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,

जो दुःख में बहते थे आंसू अब सुख में न रुकते है,
ये आंसू तो हर बूंदो में शुक्र तेरा करते है,
साहनु कह ना पाता जो भी आंखे ये कह जाती है,
मन में इक हलचल है होती याद तेरी जब आती है,
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