अब तमना नहीं मांगने की

अब तमना नहीं मांगने की मुझको खरात इतनी मिली है,
सिर झुका है तेरे दर पे मेरा,
बन्दगी अब मेरी ज़िंदगी है,

पल भर में मेरी सोइ तकदीर जगाई,
बरसै दया रेहमत तूने मेरे साई,
तुझसे ही मिला मेरे जीवन को सहारा,
शिरडी का बादशाह है तूने लाखो को तारा,
बेबसों का ठिकाना है ये साई का द्वारा,
नाज करता हु किस्मत पे अपनी तूने सौगात इतनी जो दी है,
अब तमना नहीं मांगने की मुझको

जब संकटो ने पल पल आ मुझको था गेरा,
आया जो मेरे काम बस नाम था तेरा,
तूने ही तूफ़ान रोका करामात दिखाई,
जिसका नहीं है कोई उसका तू है साई,
लाखो को भव तारा बिगड़ी बात बनाई,
ये अँधेरे में थी ज़िंदगानी,
साई तूने ही दी रोशनी है,
अब तमना नहीं मांगने की मुझको

तेरे कर्म ने बदली है ये मेरी ज़िंदगी,
रग रग में  साई बस गई है तेरी बंदगी,
भर भर के पाया पैने तुमसे ही खजाना,
ना छोड़ न भवर में साई तू न भूलना,
तेरे बिना न साई मैंने तुझको ही माना,
क्या इनायत मुझपे बरसी,
खिल गई मेरे मन की कली है,
अब तमना नहीं मांगने की मुझको
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