रे साधक सावधान

 रे साधक सावधान

एक-एक इन्द्रि के वश में सबने प्राण गवाये - 2
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई उणरा कौन  हवाल ? साधक सावधान !

रूप रे वश में भया पतंगा, आकर्षण लुभाये रे - 2
जाय पड्यो अग्नि रे भीतर, देह भस्म कर जाय रे - 2

भँवरा भया सौरभ रे वश में, जा बैठा पुष्पों के माय
नाक सुगन्धि रिझाये रे, फूल में कलमा जाये रे - 2

रसना रे वश में मीन भयी, मीठा स्वाद सुहाय रे - 2
काटा कंठ पसार रे, तड़प-तड़प मर जाय रे - 2

काम रे वश गजराज भया, देखी गजनी कागद री -2
शक्तिहीन खुद को कर बैठा, नाथ डाल ले जाय -2

कानो रे वंश में हिरणी भयी, सुन सुन्दर हो राग रे -2
गयी शिकारी हाथों में, गंवाई सुन्दर देह अपनी - २
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