आज उलझन में उलझी है दुनिया

आज उलझन में उलझी है दुनिया,
कोई समझाने वाला नहीं है,
राह भटकाने वाले हैं लाखों,
ठीक बतलाने वाला नहीं है,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....

स्वर्ग में सुख के साधन मिलेंगे ऐसे बतलाने वाले हैं लाखों,
इस धरती पर कैसे जियो तुम जैसे बतलाने वाला नहीं है,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....

कोई हिंदू बना सिख कोई कोई ईसा बना मुस्लिम कोई,
एक परिवार सब भाई भाई ऐसा समझाने वाला नहीं है,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....

पूजा मंदिर मे करते पत्थर की घर में मां बाप दुख से तड़पते,
सेवा मां-बाप साधु गुरु बिन भव से तरने की आशा नहीं है,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....

गीत ईश्वर खुदा के हैं गाते किंतु मानवता यहां रो रही है,
बिना इंसानियत के किसी को मुक्ति पाने की आशा नहीं है,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....

बंदना कर तुम गुरु से मिलोगे सत्य निर्णय हंगामा सुनोगे,
मिटके दिग्गज के दुख से मिलोगे जन्म लेने की आशा नहीं,
आज उलझन में उलझी है दुनिया.....
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