खाटू वाले की यारी

कोई कहते दुखी हो लिए कही पे विपदा भरी है,
पर वो सोते खूटी ताने जिनकी श्याम से यारी है.....

इस खाटू वाले पे कैसी होगी यारी रे,
और कित्ते जी लगता ना जी कैसी छायी खुमारी रे,
इस खाटू वाले पे कैसी होगी यारी रे…..

आवे कोई सर पे विपदा यो ही टाले है,
जद जद मेरा जी घबरावे,
दुनिया के माँ कोई ना अपना बात समझ में आयी रे,
इस खाटू वाले पे कैसी होगी यारी रे….

इसके होते लाचारी में क्यों घबराऊ मैं,
सर पर मेरे मोर छड़ी और मौज उड़ाउँ मैं,
और किसी ते मागन देना ऐसी है दातारि रे,
इस खाटू वाले पे कैसी होगी यारी रे……

इसकी चौखट से “मीतू” ने इतना पाया है,
कृपा इसकी सोच सोच के दिल भर आया है,
न्यू ही तो ना इसकी महिमा दुनिया गा रही है,
इस खाटू वाले पे कैसी होगी यारी रे….
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