तेरा नगरकोट स्थान ज्वाला महारानी

तेरा नगरकोट स्थान ज्वाला महारानी,
मैं तो धरू तुम्हारा ध्यान ज्वाला महारानी.....

तोहै सुमिरो शारदा माई,
मेरे ह्रदय बीच समय,
सतगुरु ने राह दिखाई,
तेरे चरण पढ़ो महामाई,
मुझे अभय मिला वरदान ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....

तुमरे हाथों में हरी पीली चूड़ियां,
तुमरे पांव में बजनी पायलिया,
तुमरे दसों उगरियन मुद्री,
मैया लाल रंग ओढ़े चुनरी,
तुम्हारे गले नौलखा हार ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....

पांचो पांडव भवन बनाया,
अर्जुन ने चवर ढूरायो,
अकबर ने छतर चढ़ाया,
ध्यानु ने शीश चढ़ाया,
तेरी ज्योत रही लहराए ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....

मैया बन बन फिरे अकेली,
तुमरे संग ना संग की सहेली,
तुमरे हाथ में खप्पर सोंहै,
तुमरे हाथ में खड़क बिराजे,
मैया गण में करें घमासान ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....

बन बन में रचे उपई,
पर्वत पर कुइया खुदाई,
जामें निकलो निर्मल पानी,
मैया धन-धन आदि भवानी,
तेरा लांगुर करें स्नान ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....

तेरी कैसे महिमा गाऊं,
और किस बीद तुम्हें मनाऊं,
तेरा सुमर सुमर यश गांऊ,
तेरे चरण छोड़ कहां जाऊं,
मैया मैं बालक नादान ज्वाला महारानी,
तेरा नगरकोट स्थान....
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