अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली

( सरस्वती माँ का रूप ज्ञान का तुम भंडार,
महियर में माँ शारदा सजा तेरा दरबार। )

बन गया मुकद्दर जिस पे नजर तुमने डाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
बन गया मुकद्दर जिस पे नजर तुमने डाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली….

ज्ञान की देवी वीणा वादनी तुमसे मिलती राग रागिनी,
अलादुद्दीन का नाम अमर है रहमत वाला तेरा दर है,
वो सितार साधक तुमसे जो सीधी पा ली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली...

तुम कल्याणी तुम वरदानी वेदो ने तेरी महिमा बखानी,
तेरी साधना करते करते दादा नीलकंठ हुए है ध्यानी,
जीवन की चुनरिया भक्ति रंग में रंगवा ली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली....

जिसने भी की तेरी सेवा भक्ति उसको मिली जीने की शक्ति,
निर्धन को तू दौलत बाँटे दुखियों के भव बंधन काटे,
तेरे द्वार पर मिले सब लोगो को खुशहाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली....

आल्हा भक्त को अमर बनाया तुमसे वो वरदान है पाया,
संजो तुम्हारी गाथा गाये तुमसे निरंजन प्यार मँगाए,
माँ तुमने किसी की कोई बात नहीं टाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली,
अब दया की दृष्टि हम पे करो महियर वाली....
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