मोहन से दिल क्यूँ लगाया है

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने,
छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने॥

हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेड़ापन,
टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने॥

जितना दिल ने तुझे याद किया, उतना जग ने बदनाम किया,
बदनामी का फल क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने॥

तेरे दिल ने दिल दीवाना किया, मुझे इस जग से बेगाना किया,
मैंने क्या खोया क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने॥

मिलता भी है वो मिलता भी नहीं, नजरो से मेरी हटता भी नहीं,
यह कैसा जादू चलाया है, यह मैं जानू या वो जाने॥
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