मुझे माँ अपने चरणों मे

मुझे माँ अपने चरणों मे बसा लोगी तो क्या होगा,
शरण मे मुझे को भी अपनी बुला लोगी तो क्या होगा....
मुझे माँ अपने चरणों मे.....

ना मैं ज्ञानी ना योगी हुँ तपस्वी हुँ ना दानी हुँ,
तेरे सुमरिन की आशा है, करा दोगी तो क्या होगा....
मुझे माँ अपने चरणों मे....

यहाँ कोई नही मेरा सभी मतलब के साथी है,
दया कर मुझको सुत अपना बना लोगी तो क्या होगा....
मुझे माँ अपने चरणों मे...

यहाँ सब मुझ से कहते है तू मेरा है तू मेरा है,
मै जिसका हुँ ये झगङा तुम मिटा दोगी तो क्या होगा....
मुझे माँ अपने चरणों मे...

सुबह से शाम तक जग के झमेलो मे भटकता हुँ,
बड़ा बेचैन रहता हुँ मुझे माँ सभांलोगी तो क्या होगा.....
मुझे माँ अपने चरणों मे....

सुना है आज तक तुने अनेको पापी तारे,
उन्ही मे बिन्दु सा पापी मिला लोगी तो क्या होगा......
मुझे माँ अपने चरणों मे बसा लोगी तो क्या होगा
शरण मे मुझे को भी अपनी बुला लोगी तो क्या होगा....
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