जाती ना पूछो संत की पूछ लीजिये ज्ञान

जाती ना पूछो संत की पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तलवार को पड़ी रहन दो म्यान,

जाति रो कारण नहीं म्हारा मनवा,
सिमरे झका रो साईं है,
सिमर सिमर निर्भय हुआ है,
देव दर्शया घट माहीं रै,
जाति रो कारण नहीं म्हारा मनवा,
सिमरे झका रो साईं है....

अठ्यासी हजार तपसी तपता,
एक वन रे माहीं है,
भेळी तपती शबरी भीलण,
ज्यामे अंतर् नाही है जाति रो कारण,
नहीं म्हारा मनवा सिमरे झका रो साईं है....

यज्ञ रचायो पाँचव पांडव,
हस्तिनापुर रे माहीं है,
बाल्मीकि जी शंख बजायो,
जाती रो कारण नाहीं है,
जाति रो कारण नहीं म्हारा मनवा,
सिमरे झका रो साईं है......

चमार जाति रविदास री ने,
गुरु किया मीरा बाई ने,
राणों जी जद परचो माँगियो,
कुंड में गंग दिखाई है,
जाति रो कारण नहीं म्हारा मनवा,
सिमरे झका रो साईं है....

रामदास सिमरे राम ने,
खेड़ापे रे माहीं है,
राजा प्रजा और बादशाह,
सब ही शीश नवाई है,
जाति रो कारण नहीं म्हारा मनवा,
सिमरे झका रो साईं है.....
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