प्रभु के भरोसे हांको गाडी

सुनो रे भाई, प्रभु के भरोसे गाडी,
हरी के भरोसे हांको गाडी।
ना जाए कब टूट पड़े,
माथे पे काल कुल्हाड़ी॥

पञ्च तत्व से बनी यह कोठारिया, जिसका नाम है काया,
हर एक जीव रहे इस घर में, दे कर सांस किराया।
जब लुट जाएगी सांस की पूँजी, पछतायोगे ए अनाड़ी,
प्रभु के भरोसे हांको गाडी॥

जिस को हम तुम कहते हैं दुनिया, वो एक दर्शन मेला,
एक दिन ऐसा आता यहाँ रे, जब उड़ता हंस अकेला।
भक्ति के रंग में रंगलो ले जीवन, यही है मुक्ति की नाडी,
प्रभु के भरोसे हांको गाडी॥
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