मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते है

मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते है।

अजब है संतो का दरबार
जहाँ से मिलती भक्ति अपार
शब्द अनमोल सुनाते है
की ह्रदय का भ्रम मिटाते है
मेरे सतगुरु दीनदयाल ......

गुरु जी सत का देते ज्ञान
जीव का ईश से लगता ध्यान
वो अपना ज्ञान लुटाते है
की मन की प्यास बुझाते है
मेरे सतगुरु दीनदयाल .........

हो करलो गुरु चरणों का ध्यान
सहज प्रकाश हो जाएगा ज्ञान
वो अपना ज्ञान लुटाते है
कि भव से पार लगाते हैं।

मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते है।
download bhajan lyrics (1132 downloads)