गुराजी मोहे दीना रे

तर्ज- बनाके क्यों बिगाड़ा रे बिगाड़ा रे नसीबा

गुराजी मोहे दीना रे हा दीना रे गुरूवर ज्ञान यह मुझको

जब मैं आया था दुनिया में रहा  ज्ञान विना हीना रे
आप बिना कोई दूजा ना देखा आपका सरना लीना रे
आपका हाथ हो सर पर मेरे,हा दीना रे गुरूवर  ज्ञान यह मुझको

इस संसार की रीत पुरानी चाल चले जैसे मीना रे
आप हो मेरे पीव गुसाई दिया ज्ञान पंथ जीना रे
आप जगत मे मुक्ति के दाता हां दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

मन चंचल चित्त ज्ञान परम पद गुरु ज्ञान हम चीना रे
दिल अंदर दीदार दरशिया जयोति प्रकाश है कीना रे
आप अधम के अधम उधारण हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

रंग वरण निज रूप परखिया अमरस प्याला पीना रे
एक अरज सुनो रमेश उदासी की जड़ी भजन री दीना रे
आप दयालु दया में स्वामी हा दीना रे गुरुवर ज्ञान यह मुझको

लेखक- नरेंद्र बैरवा,
          संजय कॉलोनी, गंगापुर सिटी
download bhajan lyrics (586 downloads)