रिंगस से पैदल चल्या

तर्ज : उमराव

रिंगस से पैदल चल्या
ले हाथों में निशान
लखदातार री नगरी है
खाटू जिण रो नाम
ओ सरकार खाटू नगरी प्यारी लागे म्हारा श्याम
म्हारा श्याम जी ओ बाबा श्याम

एकादशी मैलो भरे
बारस धोक लगाय
मन इच्छा पुरी हुवे
खाटू नगरी आय
म्हारा श्याम धणी म्हारी नैया
पार लगाओ म्हारा श्याम
म्हारा श्याम जी ओ बाबा श्याम

कला भवन रे मायने
दर्शन कि है होड़
बाबा के दरबार में
खड़ा "देव" कर जोड़
भगतां रो बेडो़ पार लगाओ
आओ म्हारा श्याम
म्हारा श्याम जी ओ बाबा श्याम
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