जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे

जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे,.
तब पूजा अर्चन के स्वर सुन के मन भगति में झूमे,
जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे,.
ॐ एहम हीम कलीम चामुंडा विचे

झंडा जुलाई केसरी नंदन कर किरणों का वो अभिनन्दन,
रंग सुनेहरा भवन पे छाया सब में है माँ का नूर समय,
सूंदर प्यारा दृश्य देख के हर कोई भगति में झूमे,
जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे,.
ॐ एहम हीम कलीम चामुंडा विचे

गूंज रहे दर पे माँ के जय कारे लगी हु भगतो की कतारे
रंग भगति का छाया चाहो और अब तो,
मन में है चाहत माँ से मिलने की सबको,
इतना मन भावन ये नजारा जो देखे वो झूमे,
जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे,.
ॐ एहम हीम कलीम चामुंडा विचे


शान निराली है शोभा न्यारी है,
मेरी माता रानी की तो बात निराली है,
बीच भवन में बैठी पिंडी रूप धर के,
दसो ही दिशाओ में है माँ के चर्चे,
दर्शन प्यारा माँ का करके मन अजीत का झूमे,
जब भोर की पहली किरणे मेरी माँ के भवन को चूमे,.
ॐ एहम हीम कलीम चामुंडा विचे
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