ममता मूरत शाकुम्भरी भवानी

ममता मूरत शाकुंभरी भवानी अपने भक्तों पे उपकार कर दे
गहरा पानी है नाव पुरानी बनके मांझी इसे पार कर दे
ममता मूरत  शाकुम्भरी भवानी अपने भक्तों के उपकार कर दे

तूने करुणा से देखा है जिसको  बनी मिट्टी वह घड़ियों में सोना,
तेरी ज्योति ने चमका दिया है इस सृष्टि का हर एक कोना
तुझ से विनती ये करते सवाली सांप कांटो से गुलजार कर दे,
ममता मूरत शाकुंभरी भवानी अपने भक्तों पर उपकार कर दे

तेरी अनमोल दरिया दिली का सारी दुनिया में चर्चा है माता
चाहे राजा हो चाहे भिखारी दिया तेरा ही दिन रात खाता
जैसे औरों को तुमने दिया है अब हमारा भी उद्धार कर दे

तेरी मर्जी बिना इस जहां में कहीं पत्ता भी हिलता नहीं मां
तेरे शाही खजानों से जग को वो क्या है जो मिलता नहीं मां
हम पे भी रहम खाके  मैया अब तो सपनों को साकार कर दे
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