प्रेम की डोर जबसे

प्रेम की डोर जबसे बन्धी आप से,
दिल हुआ है दीवाना मेरा सँवारे,

तेरी चाहत के धागो में हम बंध गये,
ले बंधन निभाना मेरे सँवारे,
प्रेम की डोर जबसे

वस् गये मेरे नैनो मे तुम इस तरह,
दीप में बल रहे मोती जिस तरह,
बंद आँखे भी बाते करे आप से,
बन गया वासना मेरा सँवारे,
प्रेम की डोर जबसे

देखता हु जिधर तू ही आता नजर,
क्या हुआ है मुझे ये नहीं है खबर,
मिल रही हर ख़ुशी अब तेरे नाम से,
ना ख़ुशी का ठिकाना मेरा सँवारे,
प्रेम की डोर जबसे

तेरा प्रेमी है चोखानी करना मेहर,
उस का कहना ही क्या जिस पे तेरी नजर,
तूने वस् में किया मुझको मेरे मोहन,
तेरा दर है ठिकाना मेरा सँवारे,
प्रेम की डोर जबसे

सोनू पंडित की दिल की यही कामना,
अगर मैं भटकु कही मुझको थाम न,
तू रहे रुब रु जैसे नस में लहू तू ही असली खजाना मेरा सँवारे,
प्रेम की डोर जबसे
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