नाचूँ ओढ़ चुनरिया

नाचूँ ओढ़ चुनरिया लाल के मैया जी दयाल हो गईं,
माँ ने कर दियां मालामाल अरे रे अरे मैं निहाल हो गईं,
नाचूँ ओढ़ चुनरिया लाल के मैया जी दयाल हो गईं,

जब से मैंने ओढ़ी चुनरी संकट मिट गये सारे,
भूल गई दुनिया दारी नाचू माँ के द्वारे,
मेरा मिट गया सब जन जाल,अरे रे अरे मैं निहाल हो गईं,
नाचूँ ओढ़ चुनरिया लाल के मैया जी दयाल हो गईं,

कोई कहता पगली मुझको कोई कहे दीवानी,
माँ के रंग में रंग गई मैं तो इनसे प्रीत पुराणी,
जग कुछ भी करे सवाल के मैया जी दयाल हो गई,
माँ ने कर दियां मालामाल अरे रे अरे मैं निहाल हो गईं,
नाचूँ ओढ़ चुनरिया लाल के मैया जी दयाल हो गईं,

जिस ने ओढ़ी माँ की चुनरी वो तो मौज उड़ाये,
बड़े काम की है ये चुनड़ी नरसी ये बतलाये,
चुनरी ने किया कमाल अरे रे अरे मैं निहाल हो गईं,
नाचूँ ओढ़ चुनरिया लाल के मैया जी दयाल हो गईं,
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