खुले हैं किवाड़ मढ़िया के

खुले हैं किवाड़ मढ़िया के,

गौरव शाली वैभव शाली मां को करो प्रणाम,
मां को करो प्रणाम ,
जगजननी के चरण कमल में रहते चारो धाम
रहते चारो धाम
चरण पखार , मइया के ॥

ऊंचे पर्वत बनो देवाला मइया आन विराजी
मइया आन विराजी ।
जगमग जोत जली है द्वारे पर नौबत बाजे
द्वारे पर नौबत बाजे ।
आरती उतार,  मइया के ॥
खुले हैं किवाड़ , मढ़िया के ॥
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