हाथ जोड़ विनती करते है

देवो के तुम देव गजानंद करदो जरा उपकार,
हाथ जोड़ विनती करते है आओ सजा दरबार,
देवो के तुम देव गजानंद.........

तुम बिन यज्ञे न होये पूजन,
सब से पहले तुम को निमन्तं,
देते है शिव गोरा के सुख तेरे सेवादार,
हाथ जोड़ विनती करते है आओ सजा दरबार,
देवो के तुम देव गजानंद.........

भक्तो के तुम ही हितकारी,
मात पिता के आगयाकारी
इक अकेले तुम ही केवल जग के पालनहार,
हाथ जोड़ विनती करते है आओ सजा दरबार,
देवो के तुम देव गजानंद.........

रचना कार हो सारे जगत के,
अंतर यामी तुम घट घट के,
अपने भक्तो के घर में तुम भरते हो भण्डार
हाथ जोड़ विनती करते है आओ सजा दरबार,
देवो के तुम देव गजानंद.........

विनती सुन लो गोरा नंदन,
सनी तुमको करता वंदन,
शर्मा कब से शरण तिहारी है मेरे सरकार,
हाथ जोड़ विनती करते है
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