लूट गई लूट गई रे

लूट गई लूट गई रे तेरी सूरत पे लूट गई,
राधा बलव की अँखियाँ जादू कर गई,
मैं तो तेरी सूरत पे लूट गई,
लूट गई लूट गई रे....

कहा से कहु कोई नहीं माने,
नैनन पड़ गई डोरी रे,
आप हु नाचे मोहे नचाये और करे भर जोरि रे,
लूट गई लूट गई रे तेरी सूरत पे लूट गई

मैं तो वा से बोलू ना ही वोही मो से बोले री,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में पीछे पीछे डोले री,
लूट गई लूट गई रे तेरी सूरत पे लूट गई

श्री हरी वंश किरपा बल हमने अन्य होने धन पायो री,
राधा बलव लाल परम धन दिन दिन बड़े सहायो री,
लूट गई लूट गई रे तेरी सूरत पे लूट गई
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