तेरे हाथ की हम कठपुतली

जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ,
तेरे हाथ की हम कठपुतली,
है कुछ भी नहीं औकात,
जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ,
तेरे हाथ की हम कठपुतली....

कब किसी घडी में किस जगह पे तू दुनिया पे आएगा,
कौन पिता और माता होंगे किसका वंश बढ़ाये गा,
हर सांस का कच्चा चिठा रखते है दीना नाथ,
जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ,

परिवर्तन है नियम यहाँ का जो आया सो जायेगा,
लेख लिखा किस्मत में जो भी कोई बदल न पायेगा,
शादी का योग अटल है निश्चित फेरो की रात,
जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ

समय का चक्र नहीं रुकता है,
हर दम चलता रहता है,
अच्छे बुरे करो का फल भी पल पल मिलता रहता है,
सृष्टि के रचयेता ने दी है ये हमे सौगात,
जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ

अपनी सारी शक्ति देदी भगवान में इंसान को,
कहे मोहित इंसान चनौती देने लगा भगवन को,
ये तीन चीज रखी है भगवन में अपने पास,
जन्म मरण और वर्ण  प्रभु है सब तेरे हाथ
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