खुला पड़ा दरबार सेठ

श्याम नाम की एसी चाभी खोले किस्मत का ताला,
खुला पड़ा दरबार सेठ का आवे से किस्मत वाला,

सोवे थी किस्मत मेरी न बनती कोई बात मेरी,
दुनिया देखे मेरे तमशा मेरी ना कोई बात पड़ी,
जाके खाटू  पैरा पड़ा मैं माने बचा खाटू वाला,
खुला पड़ा दरबार सेठ का आवे से किस्मत वाला,

बात सुनाई उसने जाके बोलियाँ मैं खरी खरी,
फूटी किस्मत तू ही सुधारे दुनिया बोले बड़ी बड़ी,
इब ला दे चाभी मेरे ताले में ताने कहू खाटू वाला,
खुला पड़ा दरबार सेठ का आवे से किस्मत वाला,

जिस जिस की थी किस्मत खोली गावे से महिमा तेरी,
खाटू वाला श्याम धनि सुन फेरे से माला वे तेरी,
सबकी बिगड़ी बाते बनावे,
श्याम धनि खाटू वाला,
खुला पड़ा दरबार सेठ का आवे से किस्मत वाला,

कर सुनाई मेरी एसी किस्मत पलटी से मेरी,
जीब तजो रोशन बाबा लेखे सी महिमा तेरी,
दास नरेश गा के सुनावे सुन ले ओ खाटू वाला,
खुला पड़ा दरबार सेठ का आवे से किस्मत वाला,
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