आरती भाये सुमिरन छाये अंतस गाये हो

आरती भाये सुमिरन छाये,अंतस गाये हो,
सोहे वो दियना दाई जगमग जगमग वो,
मनहर साये ओ मोर दाई....

आखि आखि म दाई,दरसन वो तोर महामाई,
सुघ्घर दरस देखाये वो..
जेन देखे देखत रहिगे,अईसन के वो मोहत रहिगे,
टाक पार नज़र फिराये वो..
सब जग जस तोर गाये वो दाई।
सोहे वो दियना दाई जगमग जगमग वो...
मनहर साये  ओ मोर दाई"

सोने बरन जब जोति बरय तोर,
चमके भुवन उजियारे वो..
आवत जावत लोगन थिरके,
देखे दरस सुध हारे वो..
नत नत माथ नवाये वो दाई।
सोहे वो दियना दाई जगमग जगमग वो...
मनहर साये ओ मोर दाई"

आरती लेवत लइका वो सोहे,
बालक मुख निक लागे वो..
छल छल छलके वो तोर ममता,
अइसन सुख निक लागे वी..
जाहिर चरन मनाये वो दाई।
सोहे वो दियना दाई जगमग जगमग वो...
मनहर साये ओ मोर दाई"

गायक:अमन बघेल
संगीत:अमर सेन्द्रे,शेखर बघेल
श्री गणराज सत्संग भजन सेवा भजन मंडली
निगम कलोनी आमापारा रायपुर छत्तीसगढ़



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