मैया बही पूरब से आय कुंवारी हैं रेवा माँ

मैया बही पूरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा,
मैया कल कल करती आय,
कुंवारी हैं रेवा ॥

नर नारी आते संध्या में,
दीप दान करते मैया का।
भोले नाथ बिराजे वहां पर,
शनि देव बैठे पेहरे पर,
शनि देव बैठे पेहरे पर,
रहे झंडा लहराये कि मैया मोरी,
रहे झंडा लहराये कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा ॥

कोउ चढ़ावे तोहे चुनरिया,
कोउ चढ़ावे फूल पंखुड़िया,
निर्मल है मैया का जल थल,
कर स्नान खुशी भये जन मन,
कोउ करे स्नान कि मैया मोरी,
कोउ करे स्नान कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा ॥

आर पार मैया को खेरो,
कर डिंडौरी नाम बखेरो,
पंच कोसी में शहर को घेरो,
दच्छिण दिशा करो है फेरो,
भक्त भये खुशहाल कि मैया मोरी,
भक्त भये खुशहाल कुंवारी है रेवा,
मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा॥

मैया बही पुरब से आय,
कुंवारी हैं रेवा,
मैया कल कल करती आय,
कुंवारी हैं रेवा॥
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