मईया लाल देवी दरबार

मईया लाल देवी दरबार,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती।।

रानी के बाद मईया का मंदिर,
लाल भवानी बैठी भवन के अंदर,
यहाँ सीस झुकावे संसार,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती.....

माँ ये छिन्मस्तिका अवतारी,
मंगल करनी लाल दातारी,
डाले सबकी झोली लाल,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती.....

सब बचड़ो की ये महतारी,
इसकी सेवा रीत है न्यारी,
ब्रज वासन को सेवा अधिकार,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती.....

मोहन दास जो दर पे आवे,
दास मधुप जो दर पे आवे,
गोदी बिठाये माँ लाल लडावे,
देवे आशीष और करे प्यार,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती.....

मईया लाल देवी दरबार,
माँ की महिमा बड़ी अपरम्पार,
ये झोलियाँ सबकी भरती,
आस पूर्ण सब करती.....
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