जैसा चाहो मुझको समझना

जैसा चाहो, मुझको समझना,
बस इतना ही तुमसे कहना,
मांगने की आदत जाती नहीं, तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं.....

बड़े बड़े पैसेवाले भी तेरे द्वारे आते हैं,
मुझको है मालुम की वो भी तुझसे मांग के खाते हैं,
देने में तु घबराता नहीं, देने में तु घबराता नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं.....

तुमसे बाबा शर्म करूं तो और कहां मैं जाऊंगा,
अपने इस परिवार का खर्चा बोल कहां से लाऊंगा,
दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं, दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं......

तु ही करता मेरी चिंता, खुब गुज़ारा चलता है,
कहे 'पवन' की तुझसे ज़्यादा कोई नहीं कर सकता है,
झोली हर कहीं फैलाई जाती नहीं, झोली हर कहीं फैलाई जाती नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं.....
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