अवध में जनम लियो हैं राम

पुरन करनें काम,
अवध में जनम लियो हैं राम,
धरा पे पाप बढ़ा है भारी,
व्याकुल है सारे नर नारी,
करने कष्ट निदान,
अवध में जनम लियो हैं राम,
पुरन करनें काम,
अवध में जनम लियो हैं राम.....

विश्वामित्र ने अस्त्र सिखाएं,
शंकर धनुष तोड़ सिया पाए,
राजपाठ पाने से पहले,
लखन सिया संग वन को जाए,
छोड़ स्वर्ग का धाम,
वन को चले गए श्री राम,
पुरन करनें काम,
अवध में जनम लियो हैं राम.....
 
केवट तारे शबरी तारे,
खर दूषण को जाए संहारे,
रावण ने सिय को हर लिन्हा,
हुवे व्यथित जानकी के बिन्हा,
अंजनी पुत्र मिलै हनुमान,
जिनके हृदय बसे श्री राम,
पुरन करनें काम,
अवध में जनम लियो हैं राम.....

लंका में है किए चढ़ाई,
हनुमत राम लखन सब भाई,
रावण मार है सिया को लाए,
धरा दुष्ट से मुक्त बनाएं,
जगमग हुई दीप से शाम,
अवध में लौट पड़े श्री राम,
पुरन करनें काम,
अवध में जनम लियो हैं राम.....
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