मैंने घी के दीप जलाए

मैंने घी के दीप जलाए राहो में है नैन बिछाये,
पूजा करती सुबह शाम जी मेरे घर आजो राम जी.....

राम जी घर में आये स्वर्ग सागर हो जाए,
और न कुछ भी चाहे हो रामा हो,
मैंने गंगा जल मंगवाया और है घर को खूब सजाया,
मन में हर पल तेरा नाम जी,
मेरे घर आ जाओ राम जी.....

मैं तो चरणों की दासी इक तेरे दर्श की प्यासी,
तुम बिन रहे उदासी,
मुझको समजो न बेगाना सीता मैया को भी लाना,
संग में लाना हनुमान जी,
मेरे घर आ जाओ राम जी.....

तुम्हारे पैर पखारू तुम्हे मैं मन में धारु,
नही वचनों से हारू,
कवी सिंह करती है गुणगान सारे बोलो जय श्री राम,
अवध में बन गया है धाम जी,
मेरे घर आ जाओ राम जी.....
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