वृन्दावन में रस की धार

वृन्दावन में रस की धार,
सखी री बरस रही,
मैं तो कर सोलह श्रृंगार,
सखी री तरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही....

शरद चंद्र की अमृत किरणे,
भूमण्डल पर लगी बिखरने,
चांदनी बन छाई बहार,
चहुँ ओर बरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही....

तान सुरीली श्याम बजाई,
मधुबन मिल गोपी सब आई,
जीवन होगा साकार,
सखी री हरष रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही....

अमर प्रेम भरे रसिक बिहारी,
पागल की हरिदास दुलारी,
‘गोपाली’ जीवन आधार,
करुण रस बरस रही,
वृंदावन में रस की धार,
सखी री बरस रही.....
श्रेणी
download bhajan lyrics (306 downloads)