घन घनन घन घंटा

घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,
जा रूप भयानक धार के मिया महिसशुर को मारे,
चुन चुन कर पापी मारे माँ रकत पीएस संघारे,
समज ना आये माँ की माया उसके खेल निराले,
घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,

देखे जो विकराल रूप मैया का डर डर जाये,
क्रोध में आकर माँ होन्कारे भगदढ सी मच जाये,
गल में मुंडो की माला लहंगा बाहों का डाला,
माँ जिधर से निकले धरती पर लासो के ढेर पिसारे,
घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,

मेशासुर लड़ने को आया एक हाथ से मारा,
शुम्ब निशुम्ब को काली माँ ने मौत के खाट उतारा,
वो हाकारा मचाया हर और अंदेरा छाया,
चरो दिशा में गूंज रही थी चीखे और पुकारे,
घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,

एक हाथ तलवार दूजे हाथ में खपर,
रकत की बूंद ना गिरे धरा पर पी जाती धरा धृ,
जो अभी तक सामने आया उसने प्राण गवाया,
हाथ जोड़ कर भोले सब अपराध शमा हो सारे,
घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,

देवो ने शिव शंकर को सारा हाल सुनाया,
रोको माँ काली को माँ ने है उत्पाद मचाया,
रणजीत बिछे रहो में ताप कलि के त्रिपुरारी,
हो के शांत भवानी माँ के क्रोध के सब अंगारे,
घन घनन घन घंटा वाजे माँ काली के द्वारे,
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