तुम पग पग पर समझाते

तुम पग पग पर समझाते, हम फिर भी समझ न पाते
ये कैसा दोष हमारा, हम गलती करते जाते ।

नादानी जी को जलाये, व्याकुलता बढ़ती जाये,
बैरी मोहन मन मेरा, मुझे क्या क्या रंग दिखाये,
रंगो के रंगमहल मे, हमे नित नये सपने आते ॥

प्रभु निश्चय अटल बना दे, विश्वास का रंग चढा दे,
गुण गाऊंगा मै तेरा, मेरे सारे दोष मिटा दे ,
निर्बलता से मै हारा, मुझे क्यो न सबल बनाते ॥

प्रभु हार गया अब आओ, मुझे आकार सबल बनाओ ,
दामन असुवन से भींगा, 'नंदू' यु न अजमाओ,
है शरम प्रभु हमें खुद पर, हम फिर भी चलते जाते ॥
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