सुंदर श्याम निराला

( धन्य धुंधारो देश है, खाटू नगर सुजान,
वहां विराजत श्याम प्रभु और रखते भगत का मान। )

खाटू में है घट घट वासी श्याम जी,
पार ब्रह्म पूरण अविनाशी श्याम जी।।

शरणागत की लाज बचाए, सुंदर श्याम निराला,
मेरा खाटू वाला श्याम, मेरा खाटू वाला।।

ये लखदातार कहाए, भक्तन की लाज बचाए,
बिगड़ी उनकी बन जाए, जो श्याम शरण में आए,
फिर हार ना हो उस भक्त की जिसका, हर पल है रखवाला,
मेरा खाटू वाला श्याम, मेरा खाटू वाला।।

कर ले जो दीदार खाटू वाले का,
हो जाए कल्याण उस मतवाले का।।

इक बार जो खाटू आए, वो श्याम रंग रंग जाए,
फिर श्याम के रंग में रंग कर, नित श्याम नाम वो गाये,
बिगड़ा हुआ नसीब बनाये, खोले किस्मत का ताला,
मेरा खाटू वाला श्याम, मेरा खाटू वाला।।

सच्चे मन से ध्यावे, जो कोई श्याम धनी,
मिट जाए हर इक कष्ट, जो घूमे मोर छड़ी।।

फागुन के मेले में, जो भगत निशान उठाया,
और तोरण द्वार पे आकर, मेरे श्याम को शीश नवाया,
मझधार पड़ी उस भक्ति के नैय्या, पार लगाने वाला,
मेरा खाटू वाला श्याम, मेरा खाटू वाला।।

शरणागत की लाज बचाए, सुंदर श्याम निराला,
मेरा खाटू वाला श्याम, मेरा खाटू वाला........
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