बैठा है जहाँ पे लखदातार

खाटू में देखो, जहाँ जिस ओर,
भजनों को सुन मन, भाव विभोर,
प्रेम की है छाई, घटा घनघोर,
सांवरे को मन जो बसाये,
कभी ना दुःख पाए,
ये खाटू वाला उसके संग हो जाए,
पावन है कितना वो तोरण द्वार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार।।

आता है जो भी यहाँ एक बार,
बाबा की धरती से हो जाता है प्यार,
इस माटी की महिमा अपार,
इसको अपने माथे जो लगाए,
बड़ा ही सुख पाए,
तो उसकी सारी विपदाएं टल जाएँ,
होता है यहाँ पे बेडा पार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार,
पावन है कितना वो तोरण द्वार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार।।

होता है आके यहाँ एहसास,
सांवरा करेगा पूरी हर आस,
करना पड़ेगा तुझे विश्वास,
बाबा को जो दीवाना हो जाए,
प्रेमी का प्रेम पाए,
वो पागल इसका निराला कहलाये,
खाटू में ऐसा है चमत्कार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार।

खाटू में जो पहली बार आये
आते ही सुख पाए फिर मन की,
सारी चिंताएं मिट जाएँ,
खाटू में ऐसा है चमत्कार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार,
पावन है कितना वो तोरण द्वार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार।

खाटू में देखो, जहाँ जिस ओर,
भजनों को सुन मन, भाव विभोर,
प्रेम की है छाई, घटा घनघोर,
सांवरे को मन जो बसाये,
कभी ना दुःख पाए,
ये खाटू वाला उसके संग हो जाए,
पावन है कितना वो तोरण द्वार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार,
होता है यहाँ पे बेडा पार,
बैठा है जहाँ पे लखदातार।
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