तुम्हारे बिन ज़माने में

तुम्हारे बिन ज़माने में,
नहीं कोई हमारा है,
हमें तुम पर भरोसा है,
तुम्हारा ही सहारा है,
तुम्हारे बिन जमाने में,
नहीं कोई हमारा है॥

लिखी तक़दीर फुरसत में,
ग़मों पे गम ही लिख डाले,
रही ना याद ख़ुशियों की,
तभी तो गम थे लिख डाले,
बड़ी उम्मीद से तुमको,
श्याम हमने पुकारा है ,
हमें तुम पर भरोसा है,
हमें तुम पर भरोसा है,
तुम्हारा ही सहारा है,
तुम्हारे बिन जमाने में,
नहीं कोई हमारा है।

बताओ तुम कहाँ जाऊँ,
नज़र रस्ता नहीं आता,
सिवा इस दर के, दर कोई,
नजर मुझको नहीं आता,
तुम्ही से मेरी मंजिल हो,
तुम्ही से हर किनारा हो,
हमें तुम पर भरोसा है,
हमें तुम पर भरोसा है,
तुम्हारा ही सहारा है,
तुम्हारे बिन जमाने में,
नहीं कोई हमारा है।

सुनों या ना सुनों मेरी,
श्याम मर्जी तुम्हारी है,
रहम की बस नज़र कर दो,
यही अर्जी हमारी है,
तुम्हारे दर से पल भर भी,
नहीं हटना गँवारा है,
हमें तुम पर भरोसा है,
तुम्हारा ही सहारा है,
तुम्हारे बिन जमाने में,
नहीं कोई हमारा है......
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