तुम्हें प्रीत मेरी निभानी पड़ेगी

तुम्हें प्रीत मेरी निभानी पड़ेगी,
मुझे श्याम अपना बनाकर तो देखो,
बिछा दूंगा पलकें राहों में तेरी,
कभी मेरी कुटिया में आकर तो देखो ,

ये दहलीज घर की तुम्हें ही पुकारे ,
आजा कन्हैया गरीबों के द्वारे ,
भला हूँ बुरा हूँ मैं जैसा हूँ तेरा ,
मेरी गलतियों को छुपाकर तो देखो ,

मैं नरसी नहीं हूँ नहीं हूँ सुदामा ,
मगर श्याम तुमको पड़ेगा निभाना,
तुम्हारे चरण में पड़ा हूँ मैं दात्ता ,
जरा अपनी नजरें झुका कर तो देखो,

ये किस बात की तुम सजा दे रहे हो ,
खाटू में बैठे मजा ले रहे हो ,
नहीं भूल पाओगे हमें श्याम  सुंदर,
नहीं जो यकीं तो भुला कर तो देखो ,

मेरा जिस्मों - जां अब अमानत है तेरी ,
मैं तेरा रहूँगा जमानत है मेरी ,
अगर जान मांगो तो अभी जान दे दूँ,
कभी " नरसी " को आजमा कर तो देखो ,

सभी श्याम प्रेमियों को .. लेखक एवं गायक :
नरेश " नरसी " (फतेहाबाद) की ओर से ..
!! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप सिंघल (जीन्द वाले)
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