हे केसरी नन्दन जग में तुम सा नहीं

हे केसरी नन्दन जग में तुम सा नहीं,
काज राम के सवारे ऎसा बली नहीं………

मुख में मुद्रिका दबाई और छलाँग लगाई,
समुद्र लाँघ गये तनिक देर ना लगाई,
दुर्लभ काम कपि पल में करें,
सरल भाव रखे और महिमा रचे,
हे केसरी नन्दन……..

कहे तुलसीदास हनुमत राम का है भक्त,
करे हृदय में निवास और चरणो का दास,
कंचन गौर वर्ण तेरे घुंघराले बाल,
तीनो लोक हनुमत तेरी टंकार,
हे केसरी नन्दन……..

श्रीराम कहे तुम भरत के समान,
कैसी महिमा रची कपि सेवा किनी,
मेरे प्रभु बार – बार करूँ प्रणाम,
सीता, राम, लखन तीनो मेरे भगवान,
हे केसरी नन्दन………

भक्ति का दान मुझे दे दो श्रीराम,
और शक्ति का दान मुझे दे दो हनुमान,
ऎसा गुणगान गाया हनुमत यश है पाया,
बोलो जै जै राम बोलो जै जै सीता राम,
हे केसरी नन्दन……….
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