तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है

मेरे तकदीर की लक़ीर नहीं टलती है,
तू ही बतला दे मेरे श्याम कहाँ गलती है,
सबकी बदली हमारी क्यों नहीं बदलती है,
तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है,

मैंने एक बार नहीं बार बार रोया है,
पाने की उमर में अपनों का प्यार खोया है,
ग़मों की धुप में खुशियों की शाम ढलती है,
तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है,

कोई हमदर्द नहीं अपना इस जमाने में,
लगी है आग मुक्कदर के आशियाने में,
ऐसी तकदीर है पत्थर सी ना पिघलती है,
तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है

लोग कहते हैं श्याम हारे का सहारा है,
हमने इस बात पे बाबा तुझे पुकारा है,
तेरी चौखट पे ही मनचाही ख़ुशी मिलती है,
तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है

तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है,
सबकी बदली हमारी क्यों नहीं बदलती है,
तू ही बतला दे मेरी श्याम कहाँ गलती है
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