दे दो दर्शन प्रभु नेमिनाथ प्रभु

मन मेरा तेरे बिन कहीं लगता नहीं
कोई तेरे सिवा मेरी सुनता नहीं
भूल ऐसी भी ये मुझसे क्या हो गई
दर पे दादा क्यों मुझको बुलाता नहीं
अब तो ख्वाईशे बढ़ने लगी है
तेरे दरश की आस जगी है
जी ना लगे अब कहीं भी प्रभु
दे दो दर्शन प्रभु, नेमीनाथ प्रभु

आयेगी कब वो , बेला मिलन की
प्रभु सामने जब तू होगा
वो दिन इस जीवन का प्रभुवर
सबसे अलग खास  होगा
फरियाद करु , तुमको याद करु
ध्यान तेरा में दिन और रात धरु
सिवा तेरे कोई ओर दिखता नही
हर ओर निराशा ,  तेरी ही आशा
पूरी करदो मन की ये अभिलाषा
दुनिया मे मेरा एक तू ही प्रभु
दे दो दर्शन प्रभु, नेमीनाथ प्रभु

छाई उदासी तेरे दर्श बिन
नैना बरस ही रहे है
एक झलक पाने को तेरी
कबसे तरस ही रहे है
अब तो करदो प्रभु मेरी चिंता ये दूर
दर पे बुलालो अब मुझे ओ मेरे हजूर
सुनलो अब तो ये मेरी पुकार
तुम बिन अब में किसको सुनाऊ
हाले दिल अपना किसको बताऊँ
दिलबर ये कहता है जोय प्रभु
दे दो दर्शन प्रभु, नेमीनाथ प्रभु
         
   
     ✍️  रचनाकार ✍️
              दिलीप सिंह सिसोदिया
                  ❤️ दिलबर ❤️
             नागदा जक्शन म.प्र .
             
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