गोविन्द नाम लेकर फिर प्राण तन से निकले

इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,
गोविन्द नाम लेकर फिर प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,

श्री गंगा जी का तट हो यमुना का बंसी वट हो,
मेरा संवारा निकट हो जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,

सिर सोहना मुकट हो मुखड़े पे काली लट हो,
यही ध्याम मेरे घट हो जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,

मेरा प्राण निकले सुख से तेरा नाम निकले मुख से,
बच जाऊ गोर दुःख से जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,

उस वक़्त जल्दी आना मुझको न भूल ना जाना,
मुरली की धुन सुनाना जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,

ये नेक सी अर्ज है मानो तो क्या हर्ज है
ये दास की अर्ज है जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले,


श्रेणी
download bhajan lyrics (617 downloads)