राधा कान्हा से मिलने जाती है

नजरे झुका के बहाना बना के छुपे छुपा के सब से बचा के
जाने है सभी न चले तू रागे किस को रखे दिल में बसा के
केहने में क्यों शर्माती है राधा कान्हा से मिलने जाती है
उस काले को इक ग्वाले को इतना बाहती है
राधा कान्हा से मिलने जाती है

तू है ब्रिज की राज दुलारी वो गोकुल का ग्वाला,
तू है चन्द सी गोरी छोरी वो है कितना काला ,
आज न किसी को बताती है क्यों कान्हा से मिलने जाती है

आँखों का काजल पैरो का पायल कान्हा कान्हा पुकारे
यमुना किनारे तेरे पिया रे समजू मैं सारे इशारे
अमिरता रोशन से छुपाती है राधा कान्हा से मिलने जाती है
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